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________________ (३४) नवपद विधि विगेरे संग्रह। अंगो जमीन उपर लगाडवाना होवाथी पंचांग प्रणिपात दंडक कहेवाय छे. उपरनी चौद संडासा ( संदंशक ) प्रमार्जनामां ऊठती वखत प्हानीओ स्थापवानी पाछळनी जमीन त्रणवार पुंजवी, आप्रमाणे सत्तर १७ संडासा जाणवा, आ प्रमाणे विधि साचववा साथे दूहा बोली प्रदक्षिणा दइ स्वस्तिक करवा पूर्वक खमासमण देवा. एकेक खमासमण दइ एकेक गुण संभारवा पूर्वक नमस्कार पद बोलq. ॥ बार गुणगर्भित नमस्कार पदो. १ श्री अशोकवृक्षप्रातिहार्यविभूषिताय श्रीमदर्हते नमः॥ आप्रमाणे गुणसूचक नमस्कारपद बोलवू. वळी पूर्वनी माफक दूहा बोली प्रदक्षिणा दई स्वस्तिक करी खमासमण देवं. ए प्रमाणे दरेक गुणे समजवं. २ श्रीपुष्पवृष्टिप्रातिहार्यविभूषिताय श्रीमदर्हते नमः॥ ३ श्रीदिव्यध्वनिप्रातिहार्यविभूषिताय श्रीमदर्हते नमः॥
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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