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(३९८) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ __ अर्थ-सर्व जीव निकायोने खमावीने अने खमीने हुँ ( कहुं छं के) मारा सर्व अपराधो खमो. सिद्धनी साक्षीपूर्वक हुँ आलोचना करुं छु, मारे कोइनी साथे वैरभाव नथी. १५ सव्वे जीवा कम्मवस, चउदहराज भमंत । ते मे सव्व खमाविआ, मुज्झवि तेह खमंत ॥१६॥
अर्य–सर्व जीवो कर्मवशथी चौद. राजलोकने विषे भमे छे ते सर्वने में खमाव्या छे. मने पण तेओ खमे. १६
जं जं मणेण बद्धं, जं जं वाएण भासिय पावं। जं जं काएण कयं, मिलामि दुक्कडं तस्स ॥ १७ ॥
अर्थ--जे जे पाप मनवडे बंधायु, जे जे पाप वचन वडे बोलायु अने जे जे पाप कायावडे करायुं छे ते मारूं ( सर्व ) पाप फोगट थाओ अर्थात् ते पापनो मिच्छामि दुक्कडं दउं छं. १७
॥ देव वांदवानी विधि.॥
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प्रथम खमासमण दइ, इरियावही पडिक्कमी लोगस्स कही, उत्तरासण नांखीने खमा० इच्छा० चै