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आ बुक अमदावाद घीकांटा जेशंगभाइनी वाडीमा आवेला जैन एडवोकेट प्रीन्टींग प्रेसमां वाडीलाल बापुलाल शाहे छापी.
क्षमाल्यर्थना.
__ आ 'विधि विगेरे संग्रह'नो ग्रन्थ फक्त एकज मासमा आयंबिलनी ओळी ऊपर तैयार करवानो होवाथी पाछळना केटलाक विषयो, स्तवनो चैत्यवंदनो, सझायो विगैरे भागना ग्रुफो खंभात चतुर्मास बीराजता “परमपूज्य सिद्धान्त वाचस्पति न्यायविशारद आचार्य महाराज श्रीमान् विजयोदय सूरीश्वरजी महाराजश्री'ने मोकलवानो उतावळने ली टाइम न होवाथीं प्रुफो अहींज सुधारेला होवाथी मुद्रण दोषथी या दृष्टि दोषथी जे काइ अशुद्धि रही होय ते सुज्ञ पुरुषो सुधारी वांचशो तेवी नम्र विनन्ति छे.
ली० श्री जैनग्रन्थप्रकाशक सभाना
सेक्रेटरी.
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छापबा छपाववा विगेरे सर्व हक्क प्रकाशके स्वाधीन राख्या छ