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श्रीतार्किकचक्रचक्रवति-न्यायविशारद-न्यायाचार्य
महामहोपाध्याय॥ श्रीयशोविजयजीगणिजीविरचित्त
श्रीनवपदजीनी पूजा ॥ ॥ प्रथम श्री अरिहंतपदपूजा प्रारंभः ॥ काव्यं-उप्पन्नसन्नाणमहोमयाणं,
सप्पाडिहेरासणसंठियाणं ॥ सदेसणाणंदियसज्जणाणं, नमो नमो होउ सया जिणाणं ॥१॥ श्रीज्ञानविमलसूरिकृत स्तवना ॥
॥ भुजंगप्रयातवृत्तम् ॥ नमोऽनंतसंतप्रमोदप्रदान-प्रधानाय भव्यात्मने भास्वताय ॥ थया जेहना ध्यानथी सौख्यभाजा, सदा सिद्धचक्राय श्रीपालराजा ॥२॥ करयां कर्म दुर्मर्म
बीजी प्रतनो वधारो१ परम मंत्र प्रणमी करी तास धरी उर ध्यान । अरिहंत पद पूजा करो निज निज शक्ति प्रमाण ॥
(बाकी सरखं)