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Emani
॥ अथ श्री नवपद पूजा विधि ॥
आ पूजामा जे जे चीजो अवश्य जोइये, तेमांनी केटलीएक चीजोनां नाम लखीए छीए:
दुध, दधि, घृत, शर्करा, शुद्धजळ, ए पंचामृत तथा केशर, सुगंधी, चंदन, कपूर, कस्तुरी, अमर, रोली, मौली, छुटां फुल, फूलोनी माळा, फुलोना चंद्रुवा, धूप, तंदुल प्रमुख नव जातिनां धान्य, नव प्रकारनां नैवेद्य, नव प्रकारनां फळ, नव प्रकारनी पक्व वस्तु, मिश्री, पतासां, ओला प्रमुख, तथा अंगलूहणांने वास्ते सफेद वस्त्र, अने पहेराववाने वास्ते उत्तम रेशमी वस्त्र, वासक्षेप, गुलाबजळ, अत्तर, इत्यादिक बीजा पण नव नव नालीना कळश, नव रकेबी, परात (त्रास), तसला, आरती, मंगलदीपक, भगवाननी
आंगी, समवसरण, इत्यादिक सर्व वस्तु प्रथमथी ठीक करीने राखवी. ए थकी पूजामां विघ्न न होय. ए संक्षेप विधि कह्यो. विशेष विधि गुरुथकी जाणवो.
कलश विधि ॥ चैत्र तथा आश्विन मासमां ए पूजाओ भणावे, तेवारे नव स्नात्रिया करिये, महोटा कळश प्रमुखमां पंचामृत भरिये, स्थापनामां श्रीफळ तथा रोकड नाणुं धरिये, केशरथी तिलक करे,