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________________ wwww (२०६) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ ॥ नमोऽर्हसिद्धाचार्योध्यायसर्वसाधुन्यः ॥ ॥ कुसुमांजलि ॥ ढाळ ॥ अनंत चउवीसी जिनजी जुहारु, वर्तमानचउवीसी संभारु ॥ कुसुमांजलि मेलो चोवीशजिणंदा ॥ १४॥ ॥दोहा॥ महाविदेहे संप्रति, विहरमान जिन वीश ॥ भक्तिभरे ते पूजिया, करो संघ सुजगीश ॥ १५ ॥ ॥नमोऽर्हसिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः॥ कुसुमांजलि ॥ढाल॥ अपछरमंडलि गीत उच्चारा, श्री शुभवीरविजय जयकारा ॥ कुसुमांजलि मेलो सर्व जिणंदा ॥१६॥ ॥ इति श्री कुसुमांजलयः॥ पछी स्नात्रीया त्रण खमासमण देइ जगचिंतामणि चैत्यवंदन करी “नमुथ्थुणं" कही जयवीयराय पर्यंत कहे. पछी हाथकलश धूपी मुखकोश बांधी कलश लेइ उभो रहीने कलश कहे, ते ढाळ ॥ अथ कलश ॥दोहा॥ सयल जिणेसर पाय नमि, कल्याणकविधि तास ॥
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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