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________________ ( १८८ ) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ श्री ज्ञानपदनी विराधनाना फल संबंधमां दृष्टान्त तरीके श्रीमाषतुष मुनि छे अने आराधनाना फल संबंधमां उदाहरण तरीके श्री शीलमती छे, ७ 0:0: ॥ श्री चारित्रपद माहात्म्य ॥ चारितयं तहभावओ वि आराहियं सिवभवंमि । जेणं जंबुकुमारो, जाओ कयजणचमुक्कारो ॥८॥ श्री शिवकुमारना भवमां तेवा प्रकारे भावथी श्री चारित्रपदनी आराधना करी के जेना प्रतापे कर्यो छे -लोकोमां चमत्कार जेमणे एवा श्रीजंबूस्वामी चरम केवलि उत्पन्न थया ८ ॥ श्री तपः पद माहात्म्य ॥ वीरमईए तह कहवि, तवपयमाराहियं सुरतरुव । जह दमयंती भवे, फलियं तं तारिफलेहिं ॥ ९ ॥ कल्पवृक्ष समान श्रीतपःपदनी राजपत्नी वीरमती तेवा कोइ पण 'उत्तम' स्वरूपे आराधना करीके जेम
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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