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श्री ज्ञानपदाराधन सप्तम दिवसनो विधि.
श्रीज्ञानपदमाहात्म्य तथा तेना भेद विचार
जीवनुं शुद्ध चैतन्य स्वरूप, जड चेतननो विभाग, गुणदोष, भक्ष्याभक्ष्य, पेयापेय, हिताहित, कर्त्तव्याकर्त्तव्य. हेयोपादेय प्रमुख विवेकने जणावनार निबिड कमोंनी निर्जरानु परम साधन, मोह हाथीना मदने उतारवामां केसरी सिंह समान, श्रीसम्यग्दर्शननी निर्मलता तथा वृद्धि- कारण, इन्द्रियादि आ श्रवस्थानोने काबुमा राखी कर्मबन्धने अटकावनार, राग द्वेषनी मन्दता करी शान्तिपदनुं परमस्थान देनार, जड वस्तुथी आत्मानो भेद समजवानुं मुख्य लिङ्ग, आत्माना मुख्य गुणरूप ज्ञानपदनुं आराधन करवा जो के अन्यत्र मुख्यभेदनी अपेक्षाये पाच