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a सुजसवेलीकारे एक महापुरुषनी जीवनघटनाने पद्यमां गूंथीने तेओश्री विषे जे कई परिचय आप्यो छे 0 ते अभूतपूर्व छे ने अद्वितीय छ; तेथी जैन संघ खरेखर ! तेमनो ओशिंगण छ। * उपाध्यायजीनो जन्मसमय कयो?
अहीं एक वात विचारवानी छे। सुजसवेलीकारे जन्मनी साल' के तिथि जणावी नथी। मात्र दीक्षावडीदीक्षा ने उपाध्यायपदनी सालो ज जणावी छे, पण तिथि जणावी नथी. स्वर्गगमननी साल स्पष्ट जणावी नथी, तिथि पण जणावी नथी। दीक्षानी साल १६८८ जणाव्या वाद १० वरसना गाळा
वाद १६६६ नी अवधान कर्यानी साल नोंधे छे अने त्यार पछी काशीगमन सूचवे छे, पण ते * क्यारे ?-ते विषे मौन सेवे छ। आगळ चालतां काशी अने आग्रामां (४+३) सात वर्ष रह्यानो • उल्लेख करे छ। पण ते माटे चोक्कस सालनिर्देश नथी करता; गुजरातमा पुनरागमन क्यारे थयुं ? a वगेरे हकीकतो उपर पण संपूर्ण अन्धारपट छे.
१६८८ नी दीक्षा जणावीने सीधो १६६६ नो, ने त्यांथी सीधा उपाध्यायपदार्पणनो १७१८ नो, ने छेवटमां डभोई चातुर्मास कर्यानो १७४३ नो, आम चार संवतनो ए उल्लेख करे छ। आ सिवाय वीजी कोई तवारीख के साल नोंधी नथी।
सुजसवेलीकार, उपाध्यायजी श्रीविनयविजयजीना गुरुभ्राता ज होय तो, तेओ तेमना समयना कवि होवा छतां, तेओए प्रस्तुत कृतिमा महत्त्वनी हकीकतोनी केम कशी नोंध न लीधी ?-ते घटना खरेखर ! एक कोयडो बनी जाय छ।।
अने उपाध्यायजी तो, खरेखर ! त्यागमय अने निस्पृह जीवन जीवता जैन महर्षिओनी परंपराने ज अनुसर्या छे, एटले स्वजीवननी नोंध अंगे तेमणे तो केवल उपेक्षा ज सेवी छ । आयुष्य केटलुं ?
सुजसवेलीनी संवतोनी सच्चाईने उपलब्ध अन्यान्य उल्लेखोए पडकारी छ। सुजसवेलीना आधारे • उपाध्यायजीनी आवरदा ६० थी ७० वर्ष अंदाजी शकाय, ज्यारे अन्य साधनो ६० थी १०० वरसनुं * आयुष्य नक्की करी आपे छे। सुजसवेलीकारे दीक्षा १६८८ मां जणावी छे; तेओश्रीने वालदीक्षित गणीने, दीक्षानी वय आठेक वर्षनी जो कल्पीए तो जन्म संवत १६८० आसपास अंदाजी शकाय।
हवे वि. सं. १६३३मां खुद उपाध्यायजीना गुरुजी श्रीनयविजयजीए उपाध्यायजी माटे चीतरेला मेरुपर्वतनी आकृतिवाळा पटमा उपाध्यायजीने, ए वखते 'गणि' तरीके उल्लेख्या छे, त्यारे तेमनी दीक्षा ६ क्यारे गणवी ? जन्म क्यारे कल्पवो ? वळी तर्कभाषा, दशार्णभद्रसज्झाय वगेरेनी प्रतिओने अन्ते मळेला
उल्लेखो जोतां तेओश्रीनो जन्मसमय साहजिक रीते पाछळ जाय, एटले के १६४० थी १६५० वच्चेनो
कल्पी शकाय. स्वर्गगमन तो १७४५ पहेला ज थयुं छे ए हकीकत निर्विवाद छ। एथी तेओश्रीने & शतायुः मानवामां कोई बाध जणातो नथी।
+ श्रीमहावीर जैनविद्यालय-|| श्रीविजयवल्लभसरि स्मारक अंकमां पटना परिचयमा दृष्टि के प्रेस ॐदोषथी 'जाम--स्वर्गगमननी सालो मळे छ, एवं छपायु ते बराबर थी मारे सुधारी ले. BHOO80888888888 [१६७] 8888888888888888888
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