________________
* सन्मति युग निर्माता
ध्वनि - जन मन गण...
शिवपुर - पथ- परिचायक जय हे, गंगा कलकल स्वर में गाती,
-
-
सुर नर किन्नर तव पद युग सब तेरे
गुण गाते,
सन्मति युग-निर्माता, तव गुण गौरव गाथा, में, नित नत करते माथा, सादर सीस झुकाते.
हे सद्बुद्धि प्रदाता ! दुःख-हारक सुखदायक जय हे, सन्मति युग-निर्माता । जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे !
मंगल -- कारक दया-प्रचारक, खग पशु नर उपकारी, भवि जन तारक कर्म - विदारक, सब जग तव आभारी । जब तक रवि शशी तारे, तब तक गीत तुम्हारे विश्व रहेगा गाता | सन्मति युग-निर्माता । जय जय जय हे !
चिर सुख शान्ति विधायक जय हे, जय हे, जय हे, जय हे, जय भ्रातृभावना भुला परस्पर लड़ते हैं जो प्राणी । उन के उर में प्रेम बसाती, तेरी मीठी वाणी । सब में करुणा जागे, जग से हिंसा भागे,
पावें सब सुखसाता । हे दुर्जय, दुःखत्रायक जय हे, सन्मति युग-निर्माता । जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे !