________________
ચતુર્થસ્તુતિકુયુક્તિનિર્ણયછેદનકુઠાર - પ્રસ્તાવના
ક્રમ
ગ્રંથનું નામ
१८०. श्री आवश्यकनिर्युक्ति
१८१. श्री आवश्यक बृहद्वृत्ति १८२. पुनः श्री आवश्यकचूर्णि १८३. पुन: श्री निशीथचूर्णि १८४. पुनः श्री व्यवहारसूत्र वृत्ति
१८५. पुन: श्री आवश्यकावचूरि १८६. पुन: श्री आवश्यकदीपिका
१८७. पुन: श्री उत्तराध्ययन
मूलसूत्र
१८८. पुन: श्री उत्तराध्ययन बृहद्वृत्ति
१८९. पुन: श्री उत्तराध्ययन लघुवृत्ति
१९०. पुन: श्री उत्तराध्ययन अवचूरी
१९१. पुन: श्री उत्तराध्ययनवृत्ति
१९२. पुन: श्री आवश्यकचूर्णि
१९३. पुन: श्री आवश्यक बृहद्वृत्ति
१९४. पुनः श्री ओघनिर्युक्तिमूल तथा वृत्ति अनुक्रमे १९५. पुन: श्री वंदनपयन्नो
१९६. पुन: श्री पंचवस्तुक १९७. पुन: श्री महानिशीथसूत्र
કર્તા નામ चौदपूर्वधर श्री भद्रबाहुस्वामीजी कृत
श्री हरिभद्राचार्यजी कृत श्री पूर्वधराचार्य कृत
श्री पूर्वधराचार्य कृत
श्री मलयगिरिआचार्य कृत
श्री पूर्वाचार्य कृत
श्री पूर्वाचार्यजी कृत
श्री ऋषिभाषित कृत
वादिवेताल श्री शांत्याचार्यजी कृत
श्री पूर्वाचार्यजी कृत
श्री पूर्वाचार्य कृत
४८
तपागच्छीय श्री भावविजयजी उपाध्यायजी कृत
श्री पूर्वधराचार्यजी कृत श्री हरिभद्रसूरिजी कृत
चौदपूर्वधर श्री भद्रबाहुस्वामीजी तथा पूर्वाचार्यजी कृत चौदपूर्वधर श्री भद्रबाहुस्वामीजी कृत श्री हरिभद्रसूरिजी कृत
श्री गणधरदेवजी कृत