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________________ आधुनिक हिन्दी - जैन- गद्य साहित्य : विधाएँ और विषय-वस्तु है उन्होंने धार्मिक कथा वस्तु के अतिरिक्त सामाजिक कहानी संग्रह, नाटक एवं धार्मिक काव्यादि का भी सृजन किया है, लेकिन कथा - साहित्य का उन्होंने सविशेष निर्माण किया हैं। अब उनके कहानी संग्रहों की प्रमुख कहानियों की विषय वस्तु देखने का उपक्रम किया जाएगा। उस दिन : अतीत की कथा वस्तु पर लिखी गई इन कहानियों के लेखक के विचार इस प्रकार हैं- “ये जो कहानियाँ मैं आपके सामने पेश कर रहा हूँ, सब जैन साहित्य की विभूतियाँ हैं, पौराणिक कथानक हैं। जो कुछ हैं, पौराणिक संपत्ति हैं। सिर्फ भाषा शैली का पहिरावन मेरा है। जहाँ तक मुझसे बन पड़ा है, नयी शैली, नयी भाषा और कहने के नए तरीके से काफी कायाकल्प कर दिया है। पात्रों के नाम और प्लोट दो चीजें ही मैंने ली हैं, जो कि उनकी आभाएँ कही जा सकती हैं। और यों शरीर नया, आत्मा पुरानी है।"" इसमें सात कहानियाँ -उस दिन, पत्थर का टुकड़ा, उपरम्मा, शिकारी, आत्मसमर्पण, राजपुत्र और पूर्णिमा | 'उस दिन' में त्यागी धन्यकुमार एवं हलवाहक की कथा है, जो खेत में से निकले धन को अपना न समझकर अन्य का समझते हुए उसे स्वीकारने से दोनों इन्कार करते हैं, क्योंकि जितना अंतर प्रकाश और अंधेरा, जमीन और आकाश में है, संभवतः उतना ही अन्तर परधन के स्वामीत्वं के सम्बंध में 'आज' और 'उस दिन ' ( गौरवमय प्राचीन काल ) में होगा। कहानी का प्रारंभ लेखक ने कलापूर्ण ढंग से किया है- “ स्वच्छ आकाश ! शरीर को सुखद धूप । नगर से दूर रम्य - प्राकृतिक, पथिकों के पद - चिह्नों से बनने वाला - गैर कानूनी मार्ग, पगडण्डी । इधर-उधर धान्य के अन्नदाता कृषक! कार्य में संलग्न और सरस तथा मुक्त मधुमासी पक्षियों के जोड़े। श्रावण-प्रिय मधुस्वर से निनादित वायु मण्डल | और समीर की प्राकृतिक आनन्ददायक झंकृति । 311 66 'महामानव धन्यकुमार चला जा रहा था, उसी पगडण्डी पर । प्रकृति की रूप-भंगिमा को निरखता, प्रसन्न और मुदित होता हुआ । 'पत्थर का टुकड़ा' में गरीब लेकिन सहृदयी प्रेमी का वर्णन है। गरीबी जीवन का अभिशाप शायद हो, लेकिन अमानवीय अमीरी की अपेक्षा गरीबी में मानवता व करुणा सविशेष होती है। प्रेम की गहराई तक गरीब जितना पहुँच सकता है, अमीर शायद ही । अहिदेव और महिदेव नामक दो गरीब भाई परदेश भगवतस्वरूप : उस दिन दो शब्द, पृ० 2. 1. 2. वही, पृ० 18.
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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