SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आधुनिक हिन्दी जैन साहित्य : सामान्य परिचय 101 (1) वृत्तात्मक रचनाओं के अन्तर्गत कवि गुणभद्र ‘अगास' की 'प्रद्युम्न चरित', 'राम-वनवास' तथा 'कुमारी अनन्तमती' रचनाएं प्राप्त होती हैं। उनमें काव्यत्व की कमी और पौराणिकता, वृत्तात्मकता अधिक होने से साधारण कोटि की बनी है। कवि मूलचन्द 'वत्सल' के 'वीरपंच रत्न' में पांच वीर बालकों का चरित-वृत्त अंकित है। इनके उपरान्त कवि कल्याण कुमार 'शशि' का 'देवगढ़ काव्य' भी वृत्तात्मक काव्य की कोटि में ही गिना जायेगा। (2) वर्णनात्मक मुक्तक रचनाओं में श्री जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' की 'अजसम्बोधन', श्री नाथूराम 'प्रेमी' की 'पिता की परलोक यात्रा पर', गणपति गोयलीय की 'सिद्धार कूट', गुणभद्र 'अगास' की 'भिखारी का स्वप्न', सूर्यभानु डोंगी की 'संसार', अयोध्या प्रसाद गोयलीय की 'जवानों का जोश', कामता प्रसाद जैन की 'जीवन झांकी', लक्ष्मीचन्द्र जैन की 'मैं पतझड़ की सूखी डाली', शान्तिप्रसाद स्वरूप 'कुसुम' की 'कलिका के प्रति', लक्ष्मण प्रसाद की 'फूल', खूबचन्द 'वत्सल' की 'भग्नमंदिर', वीरेन्द्र कुमार की 'वीरवंदना', घासीरामचन्द्र की 'फूल से', राजकुमार की 'आह्वान' प्रमुख मुक्तक रचनाएं उपलब्ध हैं। उसी प्रकार स्त्री कवयित्रियों में चन्द्रप्रभा देवी की 'रणभेरी', कमला देवी की 'रोटी' कमला देवी 'राष्ट्रभाषा कोविद' की 'हम हैं हरी भरी फूलवारी' इत्यादि रचनाओं को सुन्दर मुक्तक रचनाएं कही जा सकती हैं। (3) आधुनिक हिन्दी जैन कवियों में श्रेष्ठ भावात्मक काव्य धार्मिक सिद्धान्तों के प्रति प्रतिबद्धता के कारण विशेष मात्रा में व उत्कृष्ट कोटि के उपलब्ध नहीं होते हैं। कुछ कवि अवश्य ऐसे हैं जिनकी रचनाओं में गूढ़ भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है। शोक, आनंद, वैराग्य, शांति व करुणा के भावों की अभिव्यक्ति विशेष रूप से हुई है। हिन्दी काव्य साहित्य के श्रेष्ठ छायावादी कवियों की रचनाओं में जो भावानुभूतियों से अतिरंजित सूक्ष्म भावों की गहन प्रतीकात्मक एवं लयबद्ध मार्मिक अभिव्यंजना हुई है ऐसी और उतनी उत्कृष्ट भावपूर्ण मुक्तक धारा हिन्दी जैन काव्य धारा में स्वाभाविक रूप से उपलब्ध नहीं होती है। इसके लिए विशेष धार्मिक पृष्ठभूमि भी कारणभूत हो सकती है। जो भावप्रधान रचनाएं प्राप्त होती हैं उनमें मुख्तार साहब की 'मेरी भावना' अवश्य सुन्दर रचना कही जायेगी। कवि की हार्दिक इच्छा एवं भावना को मूर्तिमन्त रूप प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त गणपति गोयलीय की 'नीच और अछूत' कवि चैनसुखदास की 'जीवनपट', कवि सत्यभक्त की 'झरना', कवि कल्याण कुमार 'शशि' की 'विश्रुत जीवन', श्री भगवत्स्वरूप जैन की 'सुख शांति चाहता है मानव', कवि लक्ष्मीचन्द्र की 'सजनी आंसू लोगी
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy