________________
धर्मपरी
॥१४॥
गयो तेह ॥ म० ॥ अनागत चोवीशीए जिन होशेरे, पंच कल्याणक गेह ॥ म॥ खंग६ मा० ॥ ॥ जैन रामायण मांही कहीरे, विस्तारपूर्वक कथा राम ॥ म० ॥ दधिमुख कथा तिहां जाणजोरे, बीजा अधिकार मांही ताम ॥ म ॥ मा
ए॥ ईश्वर लिंग तणी कथारे, वीजे अधिकारे कह्यो नेद ॥ म ॥ जिनमत शिवमत बेहु तणेरे, ते जोश करजो बेद ॥ म० ॥ मा० ॥ १०॥ जरासंधनी उत्पत्ति सुणोरे, संखेपे कहुँरे विचार ॥ म ॥मगध देश राजग्रहीरे, नृप हुवा संख्या न पार ॥ म ॥ मा० ॥ ११॥ हरिवंशे मुनिसुव्रत हुवारे, तेहज अनुक्रमे जाण ॥म वृहदरथ राजा रुयमोरे, श्रीमती राणी गुणखाण ॥ म ॥ मा० ॥ १५ ॥ जरासंध सुत उपन्योरे, अरध चक्री तुमे एह ॥ म ॥ कालिंदी श्रादि करीरे, सोल सहस्र गुण गेह ॥ म ॥ मा०॥ १३॥ कालयवन आदे करीरे, पुत्र हवा महा शर ॥मा अश्व करि रथ सुलट नलारे, त्रिखंड लक्ष्मी नरपूर ॥ म ॥ मा० ॥ १४ ॥ श्राप
॥१२४॥ विद्याधर प्रतिहरिरे, नूचर नवमो जरासंध ॥ म० ॥ कुरुक्षेत्रे संग्राम हुरे, नारायणे बेद्यो कंध ॥ म ॥ मा० ॥ १५ ॥त्रीजी पृथ्वी गया ते दोश्रे, होशे तीर्थकर | देव ॥ म ॥ पवनवेग विचारजोरे, शास्त्र कडं में संखेव ॥ म ॥ मा० ॥ १६ ॥