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धर्मपरी० ॥ ए६ ॥
संतोष थयो वली ताम ॥ मारा साजनरे ॥ सुएजो एक मना थइ, वात चित्त लाय ॥ एक ॥ १ ॥ उत्तम लक्षण एह तणां राज, कर दोय कीधा कान ॥ गात्र पवित्र देखी करीरे राज, करण धर्यु श्रनिधान ॥ मा० ॥ २ ॥ पुत्रीयो राजा रवि राज, रतनादे राणी तास ॥ तेने दस्ते समरपीयो राज, हुवो ते सुख निवास ॥ मा० ॥ ३ ॥ पांडु पुत्र पावन जलोरे राज, करण ते महा राय ॥ काने सुत ते केम जयो राज, धातु रहित रवि राय ॥ मा० ॥ ४ ॥ अंधकवृष्टिए तेमी करी राज, पांडु कीधो विवाह ॥ कुंती मुंडी परणावीया राज, कीधो अति उच्छाह ॥ मा० ॥ ५ ॥ अंधकवृष्टि जाइ जलो राज, नरपति विष्टि नाम ॥ गंधारी पुत्री रुयमी राज, धृतराष्ट्र परणी ताम ॥ मा० ॥ ६ ॥ पांगु कुंतीए पुत्र जया राज, युधिष्टर जीम ने पार्थ ॥ मुंडीए बे जनमीया राज, नकुल सहदेव सार्थ ॥ मा० ॥ ७ ॥ धृतराष्ट्र राजा थकी राज, गंधारी अभिराम ॥ शत पुत्र कुखे उपन्या राज, दुर्योधनादिक नाम ॥ मा० ॥ ॥ ८ ॥ पांव करण उत्पत्ति कढ़ी राज, कौरवनी वात एह ॥ जरासंध चक्री जलो राज, उत्तम नर बे तेह || मा० ॥ ए ॥ घट मान तुमे परिहरो राज, रवि सुत नोहे करण || युधिष्टर नोदे जम तणो राज, उत्तम नर ए वरण ॥ मा० ॥ १० ॥
खंग ४
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