________________
लीधो सैन केडे फाररे ॥ वे ॥ १५ ॥ वाण बिडे सहु नीकली, दश क्रोड ते सेनारे॥ दैत्य साथे संग्राम कर्यो, नाग्या दानव बीनारे ॥ वे ॥ १३ ॥ जगन संपूरण तव
थया, पांडव पांच ते हरख्यारे॥ वेद पुराणे बोट्युं एह, विप्र जुर्व तमे परीक्षारे Kalin वे ॥ १४ ॥ नट्ट नणे मुनिवर सुणो, सत्य वचन ए मोटुंरे ॥ स्मृति पुराण
वेदे का, केम थाये श्रम खोटुंरे ॥ वे ॥ १५ ॥ माया मुनि कहे सांजलो, विप्र एहीज वातोरे ॥ हय गय पायक अहिपति, इषिवर चाख्या सातोरे ॥ वे ॥ १६ ॥ बाण नि समाया सहु, वली नीकल्या जेमरे ॥ कमंडल मुखे हुँ करी, समया बेहु तेमरे ॥वे॥१७॥ विप्र वचन नणे मुनि सुणो, घटतां दीसे ए दोयरे॥वली विचारी कडं अमे, उत्तर देजो सोयरे ॥ वे ॥ १७ ॥ कमंडल मांही हस्ती तुमे, माया एह। संदेहरे ॥ घणो काल नमतां थका, केम न चांगी जीमी तेहरे ॥ वे ॥ १५ ॥ नाबुए कुंजर केम नीकट्यो, केम वलग्यो पुंब वालरे ॥ चार संदेह पड्या अडे लो, जुर्म दयापालरे ॥ वे ॥ २० ॥ खंड त्रीजे ढाल ए कही, चोथी सुणो सुविशालरे ॥ रंगविजय शिष्य एम कहे, नेमविजय उजमालरे ॥ वे ॥२१॥
ADMINNERSARAMMARKENDRAMAILOMAMRENDAINIKEDUREME