________________
Story of Rama in Jain Literature
Paüma-Cariya
Padma-Purana
VV
दशरथ-वैराग्य सर्वभूतहितागमाभिधानम् 116
172
242
196
148
336
6
106
195
104
166
143
236
29. दसरह-वइराग-सव्वभूयसरणागमो उद्देसओ
49 30. भामंडलसंगमविहाणो उद्देसओ 31. दसरह-पव्वजानिच्छय-विहाणो उद्देसओ 128 32. दसरहपव्वज्जा-राम-निग्गमण-भरहरज्जविहाणो उद्देसओ
97 33. वज्जयण्ण-उवक्खाणो उद्देसओ 34. वालिखिल्ल-उवखाणं नाम उद्दसओ 35. कविलोवक्खाणं नाम उद्देसओ 36. वणमालानाम पव्व* 37. अइविरिय-निक्खमणं 38. जियपउमा-वक्खाणं 39. देसभूसण-कुलभूसण-वक्खाणं 40. रामगिरि-उवक्खाणं 41. जडागी -पक्खि-उवक्खाण 42. दण्डगारण-निवास-विहाण 43. सबुक्क-वहणं 44. सीयाहरणे रामविप्पलाव-विहाण 45. सीया-विप्पओग-दाह-पब्धं 46. माया-पायार-विउम्वगं 47. सुग्गीव-पहाण-वक्खाणं 48. कोडिसिला-उद्धरणं 49. हणुय-पस्थाणं 50. महिंद-दुहिया-समागम-विहाणं 51. राघव-गंधव्वकन्नालाहविहाणं 52. हणुव-कन्नालाभ-लंकाविहाण
45
भामण्डल -समागमाभिधानम् दशरथ प्रव्रज्याभिधानम् दशरथ-राम-भरतानां प्रवज्यावनप्रस्थानराज्याभिधानम् वज्रकोपाख्यानम् वालिखिल्योपाख्यानम् कपिलोपाख्यानम् वनमालाभिधानम् अतिवीर्यनिष्क्रमणाभिधानम् जितपद्मोपाख्यानम् देशकुलभूषणोपाख्यानम् रामागियु पाख्यानम् जटायूपाख्यानम् दण्डकारण्यनिवासाभिधानम् शम्यूकवधाख्यानम् सीताहरण-रामविलापाभिधानम् सीतावियोग-दाहाभिधानम् माया-प्राकाराभिधानम् विटसुग्रीववधाख्यानम् कोटिशिलोत्क्षेपणाभिधानम् हनुमत्प्रस्थानम् महेन्द्रदुहितासमागमाभिधानम् गन्धर्वकन्यालाभाभिधानम् हनूमल्लङ्कासुन्दरीकन्यालाभाभिधानम्
169
102
123
151
105
232 148
250
118
85
* As we have already noted before, Vimala, calls the first 35 cantos of his poem as 'Uddesas'
and the rest 'Parvans'. Ravisena throughout names the cantos as Parvans.