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श्रीवस्तुपाल
निवेदन
चरितम् ।।
प्रकाशकनु निवेदन
॥१॥
अमारी ग्रन्थमालाना पांचमा अंक तरिके आ "वस्तुपालचरित" नामनो ग्रंथ जनता समक्ष धरतां अमने घणोज आनंद थाय छे. अत्यार | सुधीनां अहिंथी प्रकाशन पामेला पुस्तकोमा आ श्रेष्ठ छे, एम कहे, अस्थाने न ज गणाय, कारण के आ ग्रंथ घणोज रसिक होवाथी वाचकने * वारंवार वाचवो गमे तेम छे. भाषा पण धणी ज रसिक छे. आ ग्रंथ- संपादनकार्य पूज्यपाद पंन्यास श्री कीर्तिमुनिजी महाराज एओश्रीए |घणोज परिश्रम लइ करेलुं छे, अने घणुंज शुद्ध छे. आथी तेमनो मोटो आभार मानीए छीए. वळी आ ग्रंथमाळाना निभाव सारु अमने नीचे | लखेला मरुदेशना रहीश गृहस्थोए मदद करेली तेथी ज अमे आ ग्रन्थनुं प्रकाशन करवा भाग्यशाळी थया छीए, माटे आ प्रकाशन अंगेर्नु मान तो |ते सद्गृहस्थोने ज घटे छे. अने अमे पण एमनो मोटो आभार मानीए छीए.
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