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"परमेट्टि "पंचनव अक्खरेहिं वेढेह सरसमाउ(जु) तं । "पूरह पुव्वाईदले अट्ठहि वग्गेहि पत्ताइ ॥13।। सत्तक्खरं च मंतं परमिट्ठि पयाण होइ जं पढमं "तस्संतरेसु दिजओ, उडं कमलस्स रेहाणं ।।14।। वेढेण "तिउणपउमं मायाबीएण धवलवण्णेणं सेयं(यं) वरर भुजदले लिहिज्जा "सुहकरणे जोएण ||15।। गोरोयण चंदण कुंकुमेण कपूर सुरहिदव्वेण लिहियं चामी क(य) र लेहणीए सुइभूमि सुद्धदेसम्मि ।।16।। बहुसुरहि कुसुम अक्खय नाणाविह धूवबलि निविजेहिं" पूजहि(ह) "कलसनिहित्तं विसुद्ध भूमीइ (य) पयडं वा ।।17।। को करह सत्तदियहा गुरुपूया एस सिद्धचक्कस्स (2) गहभूय जक्खं रक्खस दुट्ठ जरा जंत्ति उवसामम् "जो पूयइ सत्तदिणे गुरु पूयाए स सिध्धचक्कस्स । जो पुणपक्खं (खे) मासं(से) पुजइ वासं पि परमभत्तिए "खयं कुटुंगंड माला नासंती भयंदरा रोया(गं) ॥18।। अन्नेवि एवमाई असज्ज उवसग्ग "दुट्टरायाणं नासंति "खणेणेए तकर रिउ दुट्ठ सत्ता(प्पा) ई (वि) ।।20।। आयरिसिऊण होइ वसे दुट्ठपुरिसरायाणो जो (जे) रत्तकुसुमजावं "दहदिवसे कुणइ भत्तीए ॥21।। अग्गेय मंडलगयं जो "चक्कं लिहइ वाउ(म) मज्झम्मि तिलतुसराई लवणं होमंतो तिन्नि संज्झाओ ॥22॥ तालय मणसिल गंधय गुलिया विस कणय दोत्रि रयणीओ अंगार वत्थ खप्पर पेयवणे (डे) "लिहिय भुजपत्तेवा ॥23॥ वायसगिद्ध कवो(पो)डय पिच्छेहिं लिहइ तं चकं उच्चाडण विद्देसण मारण "गुरुमोहथंभ च ।।24।। माहिंद "मंडलगय लिहियं असुहेण भारमकंतं सक्कस्स कुणइ थंभं का गणणा मणुय लोयस्स ।।25।। वारुणामंडलमज्झे "वसियरणं होइ सुहेहि लिहिऊणं "निच्चं जो आहास (राहु1) ई तस्सं "वसे तिहुयणं सयलं ।।26।। लिहिऊणं सेयवडे सुहेहि दव्वे हि सिद्धवरचकं जव होमेहिं रहिओ जो झायइ पंचवासाई ।।27।।
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