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- संसार की रंग भूमि में जीव नाना प्रकार की अब स्थाओं में परिणत होता हुआ अनेक विध खेल खेलता है। धरण भी उन्हीं खिलाडियों में से एक खिलाडी होने के नाते उमा को छोड कर मित्र की सलाह से विदेश के लिये चल पडा । रास्ते में अपने लिये अवधूत का वेश निरापद समझ कर उसने अपने कपडे गेरुए रंग में रंग लिये । किसी सच्चे गुरु की खोज में कई नगरों में घूमता हुआ किसी गांव की प्याउ पर जा पहुँचा। वहां रहे हुए एक सिद्ध पुरुष से उसका परिचय हुआ । वह नमस्कार कर उसके पास बैठ गया।