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________________ ४०८ ) अंदर से बौखला कर उपर दृढता दिखाते हुए उसने कहा-जा अपने उस छोकरे से कह देना कि तुझे युद्ध के मैदान में ही मैं जवाब दूंगा। - दूत लौट आया । महाराज श्रीचन्द्र अपने सन्देश का जवाब सुन कर अपनी फौजों को मैदाने जंग में पहूँचने का आदेश दे दिया। दोनों ओर से मजबूत मोर्चे लग गये। दोनों सेनायें अपने २ स्वामी की आज्ञा पाकर आपस में भीड़ गई । बडा भयंकर युद्ध होने लगा। जयश्री कभी इधर और कभी उधर डोलती दिखाई देने लगी। राजा गुण विभ्रम ने मौका पाकर बाणों की भयंकर बौछार करके महाराज श्रीचन्द्र की सेना को तीतर बीतर कर दिया। __ अपनी सेना के पैर उखड रहे हैं। राजा पद्मनाम, वज्रसिंह और लक्ष्मण मंत्री धिरे जारहे हैं । यह सब देख कर राजाधिराज श्रीचन्द्र शीघ्रता से हाथी पर सवार हो गये । शत्रु के निकट पहुँच कर कहने लगे कि-महोदय ! अपनो कुशलता चाहते हो तो अब भी झुक जाओ, और यदि लडना ही है, तो आयो पहिले वार कर दो। ___ गुणविभ्रम ने कहा-कि अभी तू बच्चा है, युद्ध के मैदान से हट जा, यदि लौटने की इच्छा ही नहीं है, तो
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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