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________________ मेंराज ऋषम होता । पर उस अवधूत ने कमालिसा अब'न जाने क्या हो ? महाराज के रहते अपन राजा नहीं बन सकते अतः लाख के घर में धोखे से महाराज कों और इस शैतान के बच्चे अवधूत को जला देना चाहिये । सब ने ठीक है,, कर के दिन निर्धारित किया। इधरः श्रीचन्द्र ने बड़ी तेजी से लाख के घर के नीचे सुरंग तैयार करवादी और खुद महाराजा की रक्षा में सावधान हो गया। पांचवें दिन जय आदि राजकुमारों ने महाराजा से अनुरोध किया कि पधारिये कैसी अद्भुत कारीगरी हुई है। महाराना मये गुप्त दरवाजे बंद, क्रिये गये। आग की लपटें निकलने लगी। महाराज ने कहा यह क्या ? अवधूत ने कहा राज्य लोभी कुमारों की यह काली करतूत है, जो आपका प्राण लेना चाहते हैं । महासजा किंकर्तव्य मूढ हो गये। अवधूत सावधान था हीसुरंग द्वार खोलकर महाराज को निकाल लिये । वे अपने महल के ऊपरी भाग में चले गये। इधर जयकुमार ने भाइयों के साथ राजसभा में प्रवेश करके सर्वत्र कब्जा करलिया, और खुद राजा की जगह आ बैठा शहर में सन्नाटा छा गया । मंत्री हतबुद्धि होगये। चारों ओर हाहाकार मच गया। 22. वर
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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