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वह जमीन पर उतरा । प्रहश्य रूप से जोगणियां और कुमार नगर की तरफ चले । रास्ते में मानवोंका समुद्र उमडता हुआ देखकर' कुमार ने प्रवधूत का वेश बनाया और उस टोले में जा पहूँचा । वहां मंत्री आदि समझा रहे हैं पर महाराजा प्रतापसिंह अपनी गोत्र देवी के सामने धधकती आगमें-अपने आपको झोंकने की तैयारी कर रहे हैं।
उस समय बड़ी तेजी से ठहरो! ठहरो!! करताहुआ अवधूत वहां पहुँच गया। कहने लगा महाराज ! आप अधीर न होइयें। महारानी पुत्र सहित सुरक्षित स्थान में विराजमान हैं थोडे ही दिनों में आप से मिल जायेंगी। उनके कुशल-समाचार तो आपको आठ ही दिनों में प्राप्त हो जायेंगे । आप आठ दिन ओर प्रतीक्षा करें। ___मंत्रियों ने और नागरीकों ने भी यही राय दे कर के जोर दे दिया। राजा नलने से रुक गये । बापस नगर में पधारे ! अवधूत को भी साथ ले लिया । योग की चर्चा होने लगी अवधूत ने अपने ज्ञान का खजाना खोल दिया । यह कहने लगा-महाराज !
- योगश्चित्तवृत्ति-निरोध ... वित्त वृत्तियों के सेकने का नाम योग है। भर्जित अवस्था में मी चितवृत्तियां रुक जाती है। पर उसे योन