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________________ महाराजा श्राप के माता पिता हैं, एवं सेठ सेठानी पालक माता-पिता हैं इसका भी स्पष्टीकरण हुना। उसी रोज सक्कों जय कुमार आदि की काली करतूतों का पता चला। उन्हीं गुरुदेव ने आपके उज्ज्वल भविष्य का कथन किया। जिसे सुन कर हम सब आश्चर्य के साथ २ प्रसन्नता का भी अनुभव करने लगे। .... ... ... .... गुण चन्द्र आगे कहता. चला गया-एक. दिन भाभी चन्द्रकलाजी पीहर पधारी । महेन्द्रपुर के सुन्दर मन्त्री का कुशस्थलपुर में आना हुआ। उनके कहने से आपका पता लगा । कुण्डलपुर के विशारद मन्त्री भो आये। उनने भी अपने वहां की घटनायें कह सुनाई। इन लोगों के कथन से महाराजा ने आप की भ्रमण-भूमि को जाना । निर्दिष्ट दिशा को ओर आप को खोजने के लिये सशस्त्र सिपाहियों को भेजा गया । धनंजय को मेरा भार सौंप कर मैं भी कुछ सिपाहियों को लेकर आप को ढूंढने निकल पड़ा। मैं कुण्डलपुर में चन्द्रलेखाजी से और चन्द्रमुखीजी से मिला। वहां से महेन्द्रपुर में सुलोचनाजी से हाल मालम किये । कान्ती नगरी में प्रियंगुमंजरीजी से मैं सत्कृत हुआ । अपने सिपाहियों को इधर उधर गांवों में मेजता हुआ मैं इधर की ओर श्रा निकला हूँ। मैंने सर्वत्र आपके यश की चर्चा सुनी। अभी २ एक यात्री से मैंने सुना, कि श्रीचन्द्र-कुमार
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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