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________________ ( २४.) व्यक्ति उनका वेश बनाकर पा उपस्थित, हुआ है। यह सुनकर माता बड़ी दुखी हुई । माँ ने राजा से सारा हाल कह सुनाया । राजा भी इस दुखदायक अद्भुत घटना को सुनकर अतीव दुखो हुा । दूसरे दिन प्रातःकाल. उस पुरुष को बुलाकर बड़े गौर से देखा । राजा को भी निश्चय हो गया, कि यह कोई अन्य व्यक्ति प्रतीत होता है। अपने विश्वास को दृढ करने के लिए राजा ने एडल और मुद्रिका दिखाने को कहा। वे दोनों चीजें तो श्रीचंद्र, के साथ चली गई थीं अतः वह न दिखा सका । पद्मिनी आदि स्त्रियों के सम्बन्ध में पूछा तो उसका जबाव भी वह न दे सका। राजा ने नाराज होकर गीली बैतों से पीटने की आज्ञा अपने सिपाहियों को दे दी। बैंत उठते ही वह थर थर काँपने लगा और मारे डर के उसने राजा को वृत्तान्त कह सुनाया। ____ वह कहने लगा-मेरा नाम मदनपाल है। राजकुमारी के चित्र को देखकर मोहित होगया। राजकुमारी के चित्र को पाने के उद्योग में मैं यहां आया। मेरी एक ब्रह्मचारी बाबा से भेंट हुई । उसने मेरा दुखडा सुनकर मेरे ही कहने से मेरा वेष बनाकर इस कन्या से विवाह किया पूर्व प्रतिज्ञानुसार उस परोपकारी ब्रह्मचारी ने मुझे दुहेज समेत इस कन्या को सौंप दी । वह कहीं चला गया
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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