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________________ ( २६६ ) शासक हैं । सब कलाओं में निपुण, रूपवती, विदुषी प्रियंगुमंजरी नाम की उनके एक पुत्री है। अब आप चिंता का कारण भी सुनलो यहां से नैऋत्य कोण में हेमपुर नाम का नगर है । वहां मकरध्वज नामक का राजा राज्य करता है। उसके मदनपाल नाम का एक पुत्र है । वह युवावस्था में एक दिन अपने गवाक्ष में बैठा चौराहे की छटा को निहार रहा था । इतने में उसने एक योगिनी को जाते हुए देखा । उसने उसे अपने पास बुलाकर पूछा माई ! कहां सेई हो ? और कहां जाती हो कोई आश्चर्य की घटना हो तो सुनाओ । योगिनीने कहा- मैं कांतिनगरी से आती हूँ । कुशस्थलपुर की तरफ जा रही हूँ। मैं एक अपूर्व दृश्य तुम्हें दिखाती हूं। इसे तुम देखो - ऐसा कह कर उसने किसी स्त्री का नेत्र हारी चित्र दिखलाया । राजकुमार मदनपाल ने उस चित्र को एकटक देखते हुए योगिनी से उसका परिचय पूछा कि बताओ - यह किसका अद्भुत चित्र है ? योगिनी ने कहा कान्तिपुरी के राजा नरसिंह देव की राजकुमारी प्रियंगुमंजरी का यह चित्र है । यह गुगंधर कलाचार्य से श्रीचन्द्र कुमार
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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