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________________ ( २६१ ) ने वास्तविक बात का पता लगा लिया है, और तुम्हारे वचन भी उस बात से मेल खाते हैं । ... .... “सेठ का पुत्र श्रीचन्द्रही उस चन्द्रकला का पति . बना है न कि निमित्तिये के कथनानुसार महाराज प्रताप सिंह का पुत्र श्रीचन्द्र । .. यह मेरी पुत्री चन्द्रलेखा यहां पर अपनी स्वेच्छा से : कभी अपने वेष में और कभी पुरुष वेष में, नाना प्रकार के खेल खेलती हुई अपनी प्यारी सखियों के साथ क्रीडा करती है । अनेकों प्रकार के नृत्य करती है, और फूलोंके आभरणों से अपने को सजाती है। यह हमारी स्थिति है। ___इस प्रकार की बातें सुनने पर कुमार ने सोचा कियहां पर ज्यादा देर तक ठहरना उचित नहीं। अतः वह रवाना होने के लिए ज्योंही उठा त्यों ही अचानक राजादनी ( खिरणी-रायण के) वृक्ष ने उस पर बहुत सा दूध बरसाया । वह दृश्य ऐसा मालुम होता था मानो बहुत दिनों से बिछुड़े हुए पुत्र को गोदी में पाकर माता, अपने हर्ष के आंसुओं से उसे नहला रही हो। या दूध पिला रही हो। __यह घटना देखकर सभी साश्चर्य प्रसन्न हुए और एक साथ बोल उठे-जिस वर की खोज में हम इतने दिनों
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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