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________________ इन दिनों विदेश में विचर रहा है । वह एक ही वर्ष में राजाधिराज हो कर तुम्हें मा मिलेगा। इस्थलपुर में यह बात सुन राजा रानी आदि सब बड़े प्रसन्न हुए तथा अपने अपने घर चले गये । मैंने भी वहां पर इन गाथाओं को उन्हें सुनाया, और जो कुछ भी धन मिला, उसे लेकर इस समय मैं अपने घर जा रहा हूं। ' ___यह बात सुन कर कुमार को अत्यन्त हर्ष हुआ। कुमार ने उस वैतालिक को यथेष्ट दान देकर सन्तुष्ट किया, तथा अन्य उपस्थित मनुष्यों को मिष्टान्न भोजन कराया। इसके बाद वह उसी वेश से फिर आगे चला । कभी वह प्रकट रूप से चलता था, तो कभी अदृश्य हो कर । ___ एक दिन कुमार को चलते चलते शाम हो गई । एक भयावन जंगल के पास वह श्रा पहुँचा। वहां ठहरने का कोई स्थान न होने से वह एक बहुत बड़े पेड़ के नीचे ठहर गया। वह पेड़ तोतों का निवास स्थान था । शाम को सभी तोते अपना चुगा करके चारों ओर से वहां एकत्रित हो गये। वे आपस में बातें पूछने लगे। कौन कहां से आया है ? और किसने क्या देखा है ? इस प्रकार प्रश्न होने पर, एक बड़े तोते ने जो कि वहां तीन दिन से आया था-उसको
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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