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________________ ( २०१ ) मैं और मार्ग में नित्यप्रति स्मरण करने पर यह नवकारमंत्र आपका सच्चा सहायक होगा। चौर, शत्रु, डाकू, सर्प, व्यन्तर और वैताल आदि के भय से आपकी रक्षा करेगा और सब प्रकार की सुख सम्पत्तियाँ प्रदान करेगा । तव वर्त्मनि वर्ततां शिवं, पुनरस्तु त्वरितं समागमः अपि साधय साधयेत्सितं, स्मरणीयाः समये वयं वयः ॥ प्राणनाथ ! आपका मार्ग कल्याणकारी हो । आपका कल्याण हो पुनरागमन अति शीघ्र हो । मार्ग में आपके अभीष्ट सिद्ध होते रहें । कभी कभी मुझे भी अपना स्वजन जान याद करते रहें । इस प्रकार मंगल कामना करती हुई चन्द्रकला के द्वारा बोले गये प्रिय तथा सुमधुर वचनों का कुमार ने स्वागत किया । कुछ समय तक प्रस्थान - काल में किया जाने वाला प्रेमपूर्ण वार्तालाप किया । चन्द्रकला के द्वारा शुभकामना से शकुन के लिए दिया गया फल स्वीकार कर कुमार उठ खड़ा हुआ । नित्यप्रति की ही पोशाक पहने हुए तथा थोडासा पथ- साधन लेकर, सती साध्वी प्रियतमा को आश्वासन देकर और अन्तिम बिदाई लेकर कुमार घर से निकल पड़ा ।
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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