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- पुण्यवान् पुरुष सदा निस्पृही होते हैं। संसार में निस्पृही-पुरुषों के पग पग में निधान हुआ करते हैं। पत्थर में हाथ डाला जाता है, और चिंतामणि रत्न की प्राप्ति होती है। इसीसे ज्ञानी लोग सदा फरमाते हैं कि हेभव्यात्मत्रों ! स्वार्थ का त्याग कर के निस्वार्थ वृत्ति से धर्माचरण करते रहो । जिससे भावीका निर्माण वडे सुन्दर ढंग से होगा ।
कहते हैं " आडे हाथ देने से, भोजनमें घी जादा पडता है-इसी प्रकार श्रीचन्द्र कुमारने गजा दीपचन्द्र