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________________ ( १४१ ) हुए उद्यान रक्षकने उनको शकुन के लिये अनुपम पके हुए आम का फल भेंट किया कुमार ने बड़े आदर के साथ उस फलको लेते हुए, उसे यथायोग्य इनाम देकर सन्तुष्टकिया। भीतर की ओर आगे बढे । ___ कहीं आमों पर कोयल बोल रही थी, तो कहीं चम्पा 'अपनी सुनहरी आमा के साथ सुगंधी बखेर रहा था । कहीं कचनार और कदम्ब फूल रहे थे, तो कहीं गुलाब और बकूल की बहार दर्शकों के मन को मोह रही थी। कहीं अशोक वृक्ष अपनी मस्ती में फूल रहा था, तो कहीं नीबू और लींची के पेड़ लहलहा रहे थे। जगह २ बड़ नीम अजुन सरल ताल-हिंताल-मंदार-जामुन-शहतूतआंवला-कटहल-जम्बीर नारंगियों के हरे भरे पेड खडे हुए थे। तरह तरह के फल-फूलों से लदे हुए पेड़ों की अनुपम छटा को देखते हुए कुमार ज्यों ही किसी निकुज के पास पहुँचे, त्यों ही उन्हें रूप-लावण्यवती लीलावती सखियों के साथ पुष्प क्रीडा करती हुई साक्षात् वनश्री के समान कोई दिव्य कन्या दिखाई दी। ___ कमल पर जिस प्रकार भौरे मंडराते हैं उसी प्रकार उसके अलौकिक शरीर पर भौरे मंडरा रहे थे। यह देख
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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