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________________ ___ ( १५ ) गये। संपूर्ण कलाओं में कुशल कुमार कामदेव के समान सुन्दर रूपवान नवजवान होगया । कुशस्थल में रहने वाले धनप्रिय, धनमित्र आदि आठ व्यापारी सेठों ने अपनी धनवती लक्ष्मी आदि आठ कन्याओं का सम्बन्ध कुमारसे करना चाहा । लक्ष्मीदत्त सेठ ने उनकी प्रार्थना से प्रेरित हो अपने कुल के योग्य उन कन्याओं को जानकर बडी धूमधाम से कुमार को परणा दिया। कलाओं से चन्द्रमा के समान वह उन पतिव्रता गुणवती पत्नियों को पाकर विशेषतया सुशोभित हुआ। ... कमला कमल को छोड कर कुमार के कर कमलों में आवसी । चन्द्र अपनी क्षीणता को मिटाने कुमार के मुखमें लीन होगया । हमेशा चन्द्र के उदय से कमल संकुचित और श्री हीन रहेगा ऐसा समझ कर श्री कुमार के नामके अग्रभाग में रहने लगी । अन्तर्निहित गुण रूप रत्नों से कुमार रोहणाचल पर्वत के समान गौरव पाया । विबुधों से सेवित ऐश्वर्य संपन्न इन्द्र के समान कुमार सब की आंखों को आनन्द देने वाला हुआ । सुमेरु के समान धीर, सागर के समान गंभीर-गुणी श्री चन्द्रकुमार सर्वत्र सत्कार पाता हुआ भी भगवान श्री जिनेश्वर देव के शासन का अनन्य अनुरागी सेवक बना रहा। नित नये कवीश्वर नित नयी कविताओं द्वारा उसकी यशोगाथा गाया करते थे। दान
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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