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________________ ( ) तारों को कौन देखता है ? श्रीचन्द्र केवल पढने के लिये ही गुरु की उपासना नहीं करता था, बल्कि उनके गुणों के प्रेम के कारण उनका तनिक समय के लिये भी विछोह सहन नहीं कर सकता था। - थोड़े ही काल में कुमार श्रीचन्द्रने लक्षण शास्त्र छन्दः शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र में निपुणता प्राप्त की। उसने साहित्य शास्त्र एवं गणित शास्त्र का गहरा ज्ञान प्राप्त करलिया। सामुद्रिक शास्त्र, अश्वविद्या, शास्त्रार्थ-विद्या, आयुर्वेद, काल-ज्ञान, स्वरोदय-विज्ञान, रसायन-विद्या और नाट्यशास्त्र आदि सांगोपांग अभ्यास किया। रत्न-परीक्षा, गज-शिक्षा, लेखन-कला आदि विद्यायें विना किसी महिनत के जान ली । आचार्य ने अपनी संपूर्ण विद्याओंको कुमार के हृदय रूपी दर्पण में प्रतिबिम्बित कर दी। ____पुत्र की इस ढंग की पढाई को देखकर सेठ फूला न समाया । उसका हृदय वांसों ऊंचा उछलने लगा। आनन्द की लहरों से लहराता हुआ वह प्राचार्य के पास जाकर बोला-"प्राचार्य मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि आपने मेरे पुत्र को सभी शास्त्रों में पारंगत कर दिया। मैं और मेरा पुत्र कभी आपके इस उपकार-भार से मुक्त नहीं हो सकेंगे। मेरी आपसे एक और प्रार्थना है, कि आप इसे अनुर्वेद (अस्त्र-शस्त्र विद्या) का भी अभ्यास करा दें।
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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