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________________ १३ पुण्यैर्विना नहि फलन्ति समीहितार्थाः । पुण्य से मनुष्य को मनचाहे फल मिलते हैं अतः अपना हितचाहने वालों को चाहिये कि हमेशा पुण्य कार्य करते रहें । महाराजा प्रतापसिंह के न्यायी राज्य में नगर सेठाई भोगने वाला राजा - प्रजा में सन्मान प्राप्त लक्ष्मीदत्त सेठ अपने विशाल वैभव के साथ कुशस्थल नगर को सुशोभित करता था । उसके पास सौन्दर्य शालिनी शीलालंकार धारिणी लक्ष्मीवती नाम की सेठानी थी। पति-पत्नी दोनों ही बड़े प्रेम और आनंद से अपना सुखमय जीवन बीताते थे । दान और सन्मान में उनका मुकाबला करने वाला कोई नहीं था। सभी तरह के सुख होते हुए भी संतान का
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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