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अपनी बात
ज्ञानसत्र के विद्यार्थीयों को जैन इतिहास से भी कुछ परिचित कराना आवशयक समझ कर संक्षेप में यह पुस्तिका लिखी गई है। उल्लेखनीय है कि सम्पादक महोदय श्री शोभाचन्द्रजी 'भारिल्लजी' ने भाषाकीय दृष्टि से इस पुस्तिका को साद्यन्त देखकर कहीं कहीं सम्मान किया। विद्यार्थीगण इस पुस्तिका का अध्ययन कर अनंत उपकारी भगवान् महावीरस्वामी, उनके आज्ञाधारी गुरुभगवंत और पूर्व के महान् श्रावकों के जीवन का परिचय पाकर अपने जीवन में त्याग, वैराग्यादि गुणों का अभ्यास करें और विश्वकल्याण-कर जैनधर्म की सेवा के महान् कार्य में अपना योगदान देवें, यहीअभिलाषा।
-गणि कुलचन्द्रविजय