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कम्मरनजलोह विणिग्गयास सुयरयणे दीहनालस्स। पंच महन्वय थिरकन्नियहस । गुणकैसरालस्सा सावगजण महुअरि परिंखुरसा जिण सूरतेय बुद्धस्सा। संघपंजमस्स भई । समण गर्ण मह स पितरस जा तवसंजममयलंडण।अकिरियराहुमुह दुद्धरिसनिचं । जय संघ चंद। निम्मल सम्मत्त विसुद्ध जोण्हागा ॥६॥ पर तित्थिय गह पहनासगस्सातवतेय दित्त लेसस्स। नाण जोयस्स जए भदं दम संघ सूरस्स ॥१०॥ भई धिइ वेला परिगयस्स। सज्झायजोग मगरस्स ॥ अक्खोहस्स भगवओ। संघ समुदस्स रुंहस्स ॥११॥ सम्म इंसण वर वइर दृढ रूढ गाढावगाढ पेढस्स। धम्म वररयण मंडिय चामीयर मेहलागस्स ॥१२॥ नियमूसियकणय सिलायलुज्जल जलंत चित्तकूडस्स। नंदण वण मणहर सुरभि सील गंधुधुमायस्स ॥१३॥ जीवदया सुंदर कंद रुद्दरिय मुणिवर मइंद इन्नस्स ॥ हेउ सय धाउ पगलंत रयणदित्तोसहि गुहस्स ॥१४॥ संवर वर जल पगलिय उज्झर पविराय माणहारस्स॥ सावग जण पउर रवंत मोर नचंत कुहरस्स ॥१॥ विणय नय पवर मुणिवर फुरंत विजुज्जलंत सिहरस्स। विविह गुण कप्प रुक्खग फलभर कुसुमाउल
वणस्स ॥१६॥