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[ ३५ ] णं अंगठ्ठयाए पढमे अंगे, दो सुयक्खंधा, पणवीसं अज्झयणा, पंचासीइ उद्देसणकाला, पंचासीइ समुइसणकाला, अट्ठारस पयसहस्साइं पयग्गेणं, संखिजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपएणत्ता भावा आघविजंति, पन्नविजंति, परविजंति, दंसिज्जंति, निदंसिजंति, उवदंसिजंति, से एवं आया, एवं नाया, एवं विएणाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ, से त्तं पायारे १॥ सू०॥ ४५ ॥ से किं तं सूयगडे ? सूयगडे णं लोए सूइज्जइ, अलोए सूइज्जइ, लोयालोए सूइज्जइ, जीवा सूइज्जंति, अजीवा सूइजंति, जीवाजीवा सूइज्जति, ससमए सूइज्जद, परसमए सूइजइ, ससमयपरसमए सूइ. जह, सूयगडे णं असीयस्स किरियावाइसयस्स, चउरासीइए अकिरियावाईणं, सत्तट्ठीए अण्णाणीयवाईणं, बत्तीसाए वेणइयवाईणं, तिण्हं तेसहाणं पासंडियसयाणं वूहं किचा ससमए ठाविजइ, सूयगडे णं परित्ता वायणा, संखिजा अगुोगदारा, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखिजानो निजुतीनो, संखिजात्रो संगहणीप्रो, संखिजानो पडिवत्तीयो, से णं अंगठ्याए बिइए अंगे, दो सुयक्खं