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[ श्रीउत्तराध्ययन सूत्र
गामे नगरे तह रायहाणिनिगमे य श्रागरे पल्ली । खेडे कब्बडदोमुहपट्टणमडम्बसंवा हे ॥ १६ ॥ समपर विहारे, सन्निवेसे समायघोसे य । थलिसेणाखन्धारे, सत्थे संबद्धकोट्टे य ॥ १७ ॥ वाडेसु य रत्थासु व घरेसु वा एवमित्तियं खेत्तं । कप्पइ उ एवमाई, एवं खेत्तरा ऊ भवे ॥ १८ ॥ पेडा य अद्धपेडा, गोमुत्तिपयंगवी हिया चेव । सम्बुक्काबट्टा यय गन्तुंपच्च गया छट्ठा ॥ १६ ॥ दिवसस्स पोरुसीयां, चउरहंपि उ जत्तिओ भवे कालो । एवं चरमाणो खलु कालोमागं मुणेयब्वं ॥ २० ॥ अहवा तइयाए पोरिसीप, उगाइ घास मेसन्तो । चउभागूणाए वा एवं काले ऊ भवे ॥ २१ ॥ इस्थी वा पुरिसो वा अकिओ वा नलकिओ वात्रि। अन्नरवयत्थो वा, अन्नयरेण व वत्थें ॥ २२ ॥ अन्नण विसेसेणं, वरागेणं भावमणुमुयन्ते उ । एवं चरमाणो खलु भवोमागं मुणेयव्वं ॥ २३ ॥ दव्वे खेत्त काले भावम्ति य श्राहिया उ जे भावा । पप हि श्रमचरश्रो, पजवचरओ भवे भिक्खु ॥ २४ ॥ विहगोरगं तु, तहा रूत्तेव एरुणा ।
अभिग्गहा य जे अन्ने, भिक्खायरियमाहिया ।। २५ ।। खीरदहिसप्पमाई, पगीयं पाणभोयणं ।
परिवजां रसाणं तु, भणियं रसविवजणं ॥ २६ ॥ ठाणा वीरासणाईया, जीवस्स उ सुहावहा । उग्गा जहा धरिजन्ति, काय किलेसं तमाहियं ।। २७ ।। एगन्तमणावाए, इत्थीपसु विवज्जिए ।
सयणास सेवण्या, विवित्तसयणासगं ॥ २८ ॥