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________________ ( হব) ;ि होले गोले वसुलेति, इत्रियं नेवमालवे ॥ १६ ॥ नामधिबुया, इली गुते वा पुणो; जहारिहम जिगिद्यं, आलवेद्य विधवा ॥ १७ ॥ ए पाए वावि, बप्पो चुल्ल पिति यः मानला जाणेति, पुतेतुलियत्तियं ॥ १८ ॥ हेहोहले ति अन्नेति, जट्टे सामिय गोमिय; होले गोले वसुले ति, पुरिसं नेव मालवे ॥ १७ ॥ नाम धिण बुया, पुरिस गुते वा पुणो; जहा रिहमनिगिश, आलवे लवेजवा ॥ २० ॥ पंचिदिया पाणाएं, एस बी य पुमं; जावणं नविजा पीका, ताव जाइति वे ॥ २१ ॥ तदेव माणुस पसु, परिकं वावि सरीसिवं; शुले पमेयले वधे, पाय मेतिय नोवए ॥ २२ ॥ परिवुद्धेति बुया; बूया जव चिएतियं; संजाए पीणीएवावि, महाकाएति, आलवे ॥ २३ ॥ तदेव गाउ पुझाउ, दम्मा गोरहगतिय; वा हिमा रहजोगति, नेवं जासेऊ पन्नवं ॥ २४ ॥ जुवं गवेति बुया, घेणुं रस दयतियं; रहस्से महलए वावि, वए संवह पितिय ॥ २५ ॥ तदेव गंतु मुझाएं, पत्रयाणि वाणि य; रुखा महल पेहाए, नेवं जासेऊ पन्नवं ॥ २६ ॥ अलं पासाय खंजाणं, तोरणाणि गिहाणि यः फलिहंग्गण नावाएं, अलं उदगदोषिणं ॥ २७ ॥ पीढए चंगबेरेय, नंगले मइयं सिया; जंत लगी व नाजिवा, गंमीया वा अलंसिया || १८ || आसणं सयणंजाणं, होझावा किंत्तुवस्सए, जुन वघाइणी जासं, नेवं जासेज पन्नवं ॥ २९ ॥ तदेव गंतुं मुजाणं, पद्ययाणि वाणिय; रुरका महल पेहाए, एवं जाऊ पन्नवं ॥ ३० ॥ जाइमंता इमे रुरका, दीह बडा महालयाः पयाय सालावकिमा, वए दरिसऐति य ॥ ३१ ॥
SR No.022606
Book TitleDasvaikalik Sutra Mool Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherNathmalji Moolchandji Shah
Publication Year1921
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size4 MB
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