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श्री आदिनाथाय नमः प्रभु श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरीधराय नमः
पूर्वाचार्य रचित 'सिरिदावेज्झय पइण्णयं
. दिव्याशीष आचार्य श्री विद्याचंद्रसूरीश्वरजी आगमज्ञ मु. श्री रामचंद्रविजयजी !
[तीन आयंबिल करके इस सूत्र का अध्ययन करना]
गुजराती अनुवादक : आचार्य श्री कलापूर्णसूरीश्वरजी म. , हिन्दी अनुवादक : . मुनि श्री जयानन्दविजयजी म.
यह पुस्तक ज्ञान खाते में से छपी है । श्रावकगण मूल्य भंडारमें डालकर मालिकी करें ।