SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 184
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीवाजीवविभत्ती. गन्धयो रसओ चेव भए संगणयो वि य ॥३७॥ फासओ लहुए जे उ जश्ए से उ वलयो। गन्धयो रसओ चेव जइए संगणयो वि य ॥३८॥ फासओ सीयए जे उनए से उ वलओ। गन्धओ रसओ चेव जइए संगणयो वि य ॥३९॥ फासओ जहए जे उ नए से उ वमो । गन्धयो रसयो चेव नभए संगणओ वि य ॥४०॥ फासओ निद्धए जे उ नइए से उ वमयो । गन्धयो रसओ चेव नइए संठाणओ वि य ॥४१॥ फासओ सुक्खए जे उ भइए से न वमो। गन्धयो रसओ चेव नइए संगणओ वि य ॥४॥ परिमएमलसंठाणे नइए से उ वलयो।। गन्धयो रसओ चेव भइए से फासो वि य ॥३॥ संगणो जवे वट्टे भए से उ वस्मयो। गन्धओ रसओ चेव जइए से फासओ वि य ॥४॥ संठाणओ नवे तंसे नए से उ वमओ। गन्धयो रसओ चेव भइए से फासो वि य॥४५॥ संगणयो जवे' चउरंसे जइए से उ वामओ। गन्धयो रसयो चेव भइए से फासयो वि य ॥४६॥ जे आययसंगणे नइए से उ वलयो। गन्धओ रसओ चेव भइए से फासओ वि य ॥४७॥ एसा अजीवविजत्ती समासेण वियाहिया । .१ Ch. (चा.) जे for भवे ( ने बदले ). A ( आ.) य. for भवे ( ने बदले ).
SR No.022575
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJivraj Ghelabhai Doshi
PublisherJivraj Ghelabhai Doshi
Publication Year1925
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy