________________
७९
खलुकिज्ज्ज
[-२७.६ राइयं च अईयारं चिन्तिज्ज अणुपुव्वसो। नाणंमि दसणंमि य चरित्तंमि तवंमि य ॥४८॥ पारियकाउस्सग्गो वन्दित्ताण तओ गुरुं। राइयं तु अईयारं आलोएज्ज जहक्कम ॥४९॥ पडिकमित्तु निस्सल्लो वन्दित्ताण तओ गुरूं। काउस्सग्गं तओ कुज्जा सव्वदुक्खविमाक्खणं ।। ५०॥ किं तवं पडिवज्जामि एवं तत्थ विचिन्तए। काउस्सग्गं तु पारित्ता वन्दई य तओ गुरुं ॥५१॥ पारियकाउस्सग्गो वन्दित्ताण तओ गुरूं।। तवं तु पडिवज्जेज्जा कुज्जा सिद्धाण संथवं ॥५२॥ एसा सामायारी समासेण वियाहिया। जं चरित्ता बहू जीवा तिण्णा संसारसागरं ॥५३॥ ॥त्ति बेमि।।
॥ सामायारी समत्ता ॥२६॥
॥ खलुंकिज्ज सप्तविंशतितमं अध्ययनम् ।।
थेरे गणहरे गग्गे मुणी आसि विसारए। आइण्णे गणिमावम्मि समाहि पडिसंधए ॥१॥ वहणे वहमाणस्स कन्तारं अइवत्तई। जोगे वहमाणस्स संसारी अइवत्तई ॥२॥ खलंके जो उ जोएड विहम्माणो किलिप्सई। असमाहिं च वेएइ तोत्तओ से य भज्जई ॥३॥ एगं डसइ पुच्छंमि एगं विन्धइऽभिक्खणं। एगो भंजइ समिलं एगो उप्पहपट्टिओ॥४॥ एगो पडइ पासेणं निवेसइ निवज्जई। उकुद्दइ उप्फिडइ सढे बालगवी वए॥५॥ माई मुद्धण पडइ कुद्धे गच्छइ पडिप्पहं। मयलक्खेण चिट्टई वेगेण य पहावई ॥६॥