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विजयसुयम
जं मे बुद्धाणुसासन्ति सीएण फरसेण वा । मम लामो त्ति पेहाए पयओ तं पडिस्सुणे ॥ २७ ॥
अणुसासणमोवायं दुक्कडस्स य खोयणं । हियं तं मण्णई पण्णो बेसं होइ असाहुणो ॥ २८ ॥ हियं विगयभया बुद्धा फरुसं पि अणुसासणं । बेसं तं होइ मूढाणं खन्तिसोहिकरं पयं ॥ २९ ॥ आसणे उवचिट्टेज्जा अणुचे अकुए थिरे । अप्पुटाई निरुट्ठाई निखीएज्जप्पकुक्कर ॥ ३० ॥
कालेr निक्खमे भिक्खू कालेण य पडिक्कमे । अकालं च विवज्जिन्ता काले कालं समायरे ॥ ३१ ॥
परिवाडीप न चिटुज्जा भिक्खू दत्तेसणं चरे । पडिलवेण पखित्ता मियं कालेण भक्खए ॥ ३२ ॥ नाइदूरमणासको नन्नेसिं चक्खुफासओ । एगो चिटुज्ज भचट्ठा लंघिया तं नरकमे ॥ ३३ ॥ नाइउथे न नीए वा नासको नाइदूरओ । फासुयं परकडं पिण्डं पडिगाहेज्ज संजए ॥ ३४ ॥ अप्पपानेऽप्पवीर्यमि पढिच्छनाम संजुडे । समयं संजय भुंजे जयं अपरिसाडियं ॥ ३५ ॥ सुकार्ड त्ति सुपक्कि त्ति सुच्छिने सुहडे मडे । सुट्टिए सुलद्धित्ति सावज्जं वज्जए मुणी ॥ १६ ॥ रमए पण्डिप सासं हयं भई व वाहए । बालं सम्मइ सासन्तो गलियस्सं व वाहए ॥ ३७ ॥ खड्डया मे चवेडा मे अक्कोसा य वहा य मे । कल्लाणमणुसासन्तो पावदिट्टि त्ति मन्नई ॥ १८ ॥ पुत्तो मे भाव नाइ त्ति साहू कल्लाण मन्नई । पावदिट्ठी उ अप्पाणं सासं दासु त्ति मन्नई ॥ ३९ ॥ न कोवए आयरियं अप्पाणं पि न कोवए । बुद्धोवधाई न सिया न सिया तोत्तगवेसए ॥ ४० ॥
आयरियं कुवियं नच्चा पत्तिएण पसायए । विज्झवेज्ज पंजलिउडो वपज्जन पुणु त्ति य ॥ ४१ ॥
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