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________________ उत्तराध्ययनसूत्रम् (अध्ययन ३६) वण्णओ जे भवे सुकिले भइए से उ गंधओ । रसओ फासओ चेन, भइए संठाणओ वि य ।। २७ ।। गंधओ जे भवे सुब्भी, भइए से उ वण्णओ । रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ विय ॥ २८ ॥ गंधओ जे भवे दुभी, भइए से उ वण्णओ | भइए संठाणओ वि य ।। २९ ।। भईए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥ ३० ॥ रसओ फासओ चेव, रसओ तित्तए जे उ, गंधओ फासओ चेव, रसओ कडुए जे उ, भइए से उ वण्णओ । गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओ विय ॥ ३१ ॥ भइए से उ वण्णओ । १६१ रसओ कसाए जे उ गंधआ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य ।। ३२ ।। रसआ अंबिले जे उ, भइए से उ वण्णओ । गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओ विय ॥ ३३ ॥ रसओ महुरए जे उ, भइए से उ वण्णओ । गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओविय ॥ ३४ ॥ फासओ कक्खडे जे उ, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए सौंठाणओ विय ॥ ३५ ॥ फासओ मउए जे उ, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओ वि य ॥ ३६ ॥ फासओ गुरु जे उ, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चैव भइए संठाणओ विय ॥ ३७ ॥ ११
SR No.022569
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
PublisherPurushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
Publication Year1984
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size13 MB
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