________________
नमोऽनेकाताया सामातनजैनग्रंथमाला।
आचार्यवर्यश्रीमाणिक्यनंदिविरचितं.
परीक्षामुख हिंदीवंगानुवादास्ता
मंगलाचरणं । प्रमाणादर्थसंसिद्धिस्तदाभासाद्विपर्ययः।
इति वक्ष्ये तयोर्लक्ष्म सिद्धमल्पं लघीयसः॥१॥ हिंदी अनुवाद-प्रमाणसे पदार्थोका वास्तविक ज्ञान होता है, प्रमाणाभाससे वास्तविकज्ञान नहिं होता; अतएव न्यायशास्त्रसे अनभिज्ञ शिष्योंके हितार्थ इन दोनोंका (प्रमाण और प्रमाणाभासका) संक्षिप्त लक्षण जो कि पूर्वाचार्योंद्वारा प्रसिद्ध है कहा जायगा ॥ १॥
वंगानुवाद-प्रमाणद्वारा पदार्थेर यथार्थज्ञान हय, प्रमाणाभासद्वारा पदार्थेर वास्तविकज्ञान हय ना; अतएव न्यायशास्वानभिज्ञ शिष्यगणेर हितार्थे उभयेरइ आर्षग्रंथ-प्रसिद्ध-लक्षण संक्षेप करिया बलितछि ॥१॥