________________
कोई प्रयोजन नहीं है तथा (ग्लानि-निद्रादि-अभावात्) थकावट, निद्रा आदि का सर्वथा अभाव होने से (कृदुशयनैः न हि अर्थः) निश्चय से कोमल शैय्या से भी कोई प्रयोजन नहीं है। .
As hunger and thirst are completely eradicated by the salvated soul Siddha, delicacies of food and water are worthless/meaningless to it; as impurities and uncleanliness are incapable to touch the salvated soul, fragrent garlands and the like objects are worthless/meaningless to it. As there is complete absence of tiredness, sleep etc. in the salvated soul, cozy bed is of no use to it. As the salvated soul is completely free from all the ailments/diseases and the pains caused by them; there is no use of any medicine to it and as the salvated soul is capable to see all objects in places full of darkness; there is no use of any lamp or light to it.
तादृक्-सम्पत्-समेता, विविध-नय-तपः-संयम-ज्ञानदृष्टि-चयो-सिद्धाः समन्तात, प्रवितत-यशसो विश्व-देवाधि-देवाः। भूता भव्या भवन्तः, सकल-जगति ये स्तूयमाना विशिष्टैस्तान् सर्वान् नौम्यनन्तान्, निजिग-मिषु-ररं तत्स्वरूपं त्रिसन्ध्यम्।।७।।
(ये) जो सिद्ध भगवान् (तादृक सम्पत समेता) अनंत दर्शन, अनंत ज्ञान, अनन्त सुख, अनन्त वीर्य आदि अनन्त गुणों रूपी निधि के स्वामी हैं। (विविधनय तपः संयम - ज्ञानदृष्टि - चर्या सिद्धाः) अनेक प्रकार के नय, तप, संयम, ज्ञान, दर्शन/सम्यक्त्व व चारित्र से सिद्ध हुए हैं; (समन्तात् प्रवितत यशसः) जिनका यश चारों दिशाओं में फैला हुआ है, (विध देवाधिदेवाः) विश्व में जितने देव हैं उन सबके जो अधिदेव देवाधिदेव दोनों के स्वामी हैं, (सकल जगति) सारे विश्व में/ समस्त संसार में (विशिष्टैः स्तुयमानैः) तीर्थंकर जैसे विशिष्ट महापुरुषों के द्वारा जो स्तुति को प्राप्त हैं, ऐसे जो (भूता भव्या भवन्तः) भूतकाल में हो चुके, भविष्यकाल में होंगे और वर्तमान में हो रहे हैं (तान् सवान् अनन्तान) उन सभी अनन्त सिद्ध परमेष्ठियों को (अर) शीघ्र ही (तत्स्वरूप) उस सिद्ध स्वरूप को (निजिगिमिषुः) प्राप्त करने की इच्छा करने वाला मैं (त्रिसंध्यम्) प्रातः-मध्याह्न - सायं तीनों कालों में (नौमि) नमस्कार करता हूँ।
I, aspire myself to attain the nature of salvated soul and pay my obeisance to bodyless pure and perfect soul (Siddhas) regularly three times a day. Siddhas (bodyless pure and
32
Gems of Jaina Wisdom-X