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शताब्दी पुरुष सहजानन्द वर्णी - व्यक्ति और विचार __ आचार्य अशोक सहजानन्द
400 रु. पूज्य सहजानन्द वर्णी जी ने अपनी विराट् साहित्यिक साधना के माध्यम से जो विरासत समर्पित की है वह केवल जैन साहित्य के लिए ही गौरवास्पद नहीं है, अपितु संस्कृत-प्राकृत भाषाओं के विपुल रत्न भंडार में प्रतिनिधि रत्नों के रूप में प्रतिष्ठित है। प्रस्तुत ग्रंथ में उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर पचास से अधिक मूर्धन्य विद्वानों के आलेख संकलित हैं। एक संग्रहणीय कृति।
. श्री स्वरोदय सं.- आचार्य अशोक सहजानन्द
150 रु. श्री कल्पादि जैनागमों में अष्टांग निमित्त में 'स्वर' को प्रधान अंग माना गया है। चिदानन्द कृत 'श्री स्वरोदय' स्वर-शास्त्र की एक दुर्लभ अनुपम कृति है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता सरल सुबोध, सभी के लिए बोधगम्य । इसको आचार्य सहजानन्द जी ने सुसंपादित कर उपलब्ध कराया है।
योग साधना रहस्य
सं.-आचार्य अशोक सहजानन्द 300 रु. योग साधना पर हजारों पुस्तकें हैं। पर यह ग्रंथ लीक से हटकर योगसाधना के गूढ़तम रहस्यों से आपका परिचय कराता है। जो आपको मानसिक रूप से तो स्वस्थ बनायेगा ही इसके अतिरिक्त आपकी पारलौकिक यात्रा में भी मार्गदर्शक बनेगा। एक विशिष्ट उपहार, गागर में सागर।
ज्ञान प्रदीपिका (प्रश्न ज्योतिष) सं.-आचार्य अशोक सहजानन्द
_150 रु. ज्ञान प्रदीपिका, प्रश्न ज्योतिष का एक प्राचीन दुर्लभ ग्रंथ है। इसका उल्लेख अनेक ग्रंथों में प्राप्त होता है। प्रथम बार सुसंपादित कर प्रकाशित किया गया है। विद्वान संपादक ने इसमें जैन ज्योतिष से सम्बद्ध शोधपूर्ण मौलिक सामग्री का भी संकलन किया है, जो ज्योतिष शास्त्र के अध्येताओं के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध होगा।
महावीर कथा आचार्य अशोक सहजानन्द
200 रु. इस कृति में भगवान महावीर के जीवन की बड़ी ही प्रामाणिक प्रस्तुति है। निर्वाण के पूर्व भगवान द्वारा दिये गये अन्तिम अमर संदेश को भी संकलित किया गया है। जन-जन की आस्था के केन्द्र चांदनपुर (श्री महावीरजी) का परिचय भी इसमें है। साथ ही भगवान की आराधना हेतु चालीसा, आरतियों, स्तोत्रों एवं भजनों का अनुपम संकलन भी।
तीर्थवंदन संग्रह ------- सं.- कुसुम जैन
400 रु. जैन तीर्थों के इतिहास से सम्बद्ध इस कृति में 40 स्वनामधन्य लेखकों के विशिष्ट
Gems of Jaina Wisdom-IX
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