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________________ जिन्होंने ज्ञानावरण कर्म के क्षय से अनन्तज्ञान, दर्शनावरण के क्षय से अनन्तदर्शन, वेदनीय कर्म के क्षय से अव्याबाधत्व, मोहनीय के क्षय से अनन्तसुख, आयु के क्षय से अवगाहनत्व, नामकर्म के क्षय से सूक्ष्मत्व, गोत्रकर्म के क्षय से अगुरुलघुत्त्व तथा अन्तराय कर्म के क्षय से अनन्त वीर्य इस प्रकार आठ कर्मों के क्षय से आठ महागुणों को प्रकट कर लिया है, जो मोक्ष लक्ष्मी के घर, आलय, स्थान हैं; ऐसे सिद्ध समूह, अनन्त सिद्ध परमेष्ठी भगवन्तों को मैं नमस्कार करता हूँ । I bow down and pay respects to the wheel of Siddhas (bodyless pure and perfect souls). These Siddhas (bodyless pure and perfect souls) are absolutely free from all the eight kinds of karmas and are the abodes of the goddess of salvation. आकृष्टिं सुरसंपदां विदधते, मुक्तिश्रियो वश्यताम्, उच्चाटं विपदां चतुर्गतिभुवां, विद्वेषमात्मैनसाम् । स्तम्भं दुर्गमनं प्रति प्रयततो, मोहस्य सम्मोहनम्, पायात्पञ्च नमस्क्रियाक्षरमयी, साराधना देवता ।। 13 ।। पंच परमेष्ठी वाचक अक्षरों से बना हुआ णमोकार मन्त्र महा-आराध्य मंत्र है। इस महामन्त्र की अपूर्व महिमा है। यह एक ही मंत्र आकर्षण, वशीकरण, उच्चाटन, विद्वेषण, स्तम्भन व सम्मोहन मंत्र है। पंच नमस्कार महामंत्र की आराधना से देवों की विभूति का आकर्षण होता है; अतः यह आकर्षण मंत्र है । आराधक के लिये मोक्ष लक्ष्मी वश हो जाती है । अतः यह वशीकरण मन्त्र है । इसकी आराधना से आराधक के चतुर्गति संबंधी विपत्तियों का नाश होता है; अतः यह उच्चाटन मंत्र है । इस मन्त्र का आराधक आत्मा के द्वारा हुवे राग-द्वेष-मोह आदि पापों को करने से भयभीत हो, उनमें अरति भाव को प्राप्त होता है; अतः यह विद्वेषण मन्त्र है। इस मंत्र की आराधना करने वालों का नरक - तिर्यंच दुर्गतियों को जाने का द्वार बंद हो जाता है, अतः यह स्तम्भन मन्त्र है । इस मन्त्र के आराधक पुरुष का मोह स्वयं मूर्च्छित हो जाता है; अतः सम्मोहन मन्त्र है । ऐसा महामन्त्र हमारी रक्षा करे । 1 May the goddess of worship of Namokar mantra letter paying obeisence to five supreme beings save/protect me. This incantation does attract the glories of celestial beings, it Gems of Jnina Wisdom-IX 119
SR No.022375
Book TitleGems Of Jaina Wisdom
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Jain, P C Jain
PublisherJain Granthagar
Publication Year2012
Total Pages180
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size19 MB
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