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[१४] एहि विन्नेआ ॥१॥ नवपंचाणउअसए उदयविगप्पेहि मोहिया जीवा ॥ अनणत्तरि एगुत्तरि, पयविंदसएहि विन्नेआ ॥२॥ तिन्नेव य बावीसे, गवीसे अट्टवीस सत्तरसे ॥ छच्चेव तेर नव बंधएसु पंचेव गणाणि ॥३॥ पंचविदचउबिहेसु, छक्क सेसेसु जाण पंचेव ॥ पत्तेचं पत्ते, चत्तारि उ बंधुवुच्छेए ॥ २४ ॥ दसनवपन्नरसाई, बंधोदयसंतग्याडगणाणि ॥ मणियाणि मोहणिज्जे, इत्तो नामं परं वुच्छं ॥ २५॥ तेवीस पन्नवीसा, छठवीसा अठवीस गुणतीसा॥ तीसेगतीसमेगं, बंधठ्ठाणाणि नामस्स ॥२६॥ चल पणवीसा सोलस, नव बाण. उईसया य अडयाला॥ एयानुत्तर बाया-लसया शक्किक्कि बंधविही ॥ २७॥ वीसिगवीसा च. उवी-सगाउ एगाहिया य गतीसा॥ उदयद्या. पाणि भवे, नव अ य हंति नामस्त ॥२॥ इक्क बियालिकारस, तित्तीसा छस्सयाणि तितीसा ॥ बारससत्तरससया,-पहिगाणि विपंच