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[८०] वएणचउ-क घाश्पणयालसहिय बासीई॥पाव. पयडि त्ति दोसु वि, वएणागहा सुहा असुहा ॥१०॥नामधुवबंधि नवगं, दंसण पणनाण विग्घ परघायं ॥ भय कुच्छ मिच्छ सासं, जिण गुण. तीसा अपरियत्ता ॥१७॥तणुअठ्ठ वेथ दुजुअल, कसाय उज्जोअ गोयदुग निदा ॥ तसवीसाउ परित्ता, खित्तविवागाणुपुब्बीओ॥१५॥ घणघाइ. दुगोअजिणा, तसिअर तिगसुलग दुनगच. उसासं ॥ जाइतिग जिअविवागा, आऊ चउरो नवविवागा ॥२०॥ नामधुवोदय चनतणु-वघाय साहारणियरजोअतिगं ॥ पुग्गलविवागि बंधो, पयवि रसपएस ति॥१॥ मूलपयडीण अडस--त बेगबंधेसु तिन्नि नगारा ॥ अप्पत्तरा तिय चलरो, अवठ्ठिा न हु अवत्तवो ॥ २२ ॥ एगादहिगे जूओ, एगाईऊणगम्मि अप्पतरो॥ तम्मत्तो अवठियो, पढमे समए अवत्तव्यो ॥३॥ नवबच्चउदंसे दुदु, ति दु मोहे दुश्गवोस सत्तरस ॥ तेरस नव पण चउ ति दु,